प्रिय प्रजापति समाज
बन्धुओं,
आपको जानकर अत्यंत हर्ष होगा
कि समाज में फैली कुरुतियां व झुठी शान को बढ़ावा देने वाली झुठी शान-शोकत वली
बुराई को मिटाने व समाज में गरीबी-अमीरी को परस्पर ताल-मेल बिठाने हेतु समाज
बन्धुओं ने निम्न प्रकार के विचार बिन्दू रखें हैं, जिनको हम सब समाज बन्धुओं को
अमल में लाना हैं।
1. समाज में मृत्यु होने पर
बैठक होती है उस बैठक में चाय पीना और पिलाना बन्द किया गया है, जहां तक हो सके मृत्यु भोज भी
खाना बन्द करें।
2.समाज में मृत्यु उपरांत
होने वाली पगड़ी रस्म(टीका) में 500/ रु., भात की पहरावणी में 1100/रु. व शादी की
पहरावणी(कचौला) में 2100/रु. से ज्यादा नही देगें इससे कम देने और लेने वाले समाज
के प्रेरणादायक महापुरुष होगें।
3.मरने उपरांत गंगा जी जाने
पर बेटी-जंवाई को ले जाना मना है, शीशी पूजन पर एक जोडे को ही कपड़ा देवें, अगर
किसी का पति मरता है और उसकी औरत तीर्थ पर साथ जाती है तो उसको भी लूगड़ी,कपड़े दे
सकते हैं।
4.मरने पर
खफन(दुसाला)ससुराल व पीहर वाले ही औढ़ावें बाकि रिश्तेदार नारियाल व गुलाल ही ले कर
जावें,यह नारियल उस चिता में एक हवन का काम करेगा जबकि दुसाला श्मशानों में उड़ता
फिरता हैं।
5.शादी की पहरावणी के भात
में अपनी बहन-बेटी साथ ले जाने पर कपड़ा नही देवें,अगर देना है तो अपने घर आने पर
देवें,वहाँ केवल समधी के बताये गये कपड़ें ही लेकर जावें, अगर उस गाँव में अपने
गाँव की लड़की है या परिवार की लड़की है तो उसका कपड़ें दे सकते हैं।
6.जामणा(जलवा) की पहरावणी
बन्द रहेगी ज्यादा से ज्यादा सासुओं कपड़े दे सकते हैं।
ये उपरोक्त नियम समाज के प्रतिभा
सम्मान समारोह जुगजीवण बाबा दादर बावड़ी स्थान पर लिया गया, जिसमें समाज की समिति
के पदाधिकारीगण,प्रजापति विकास परिषद के अध्यक्ष व पदाधिकारीगण,चौमुँ-आमेर तहसील
के सभी ब्लाँको के अध्यक्ष व पदाधीकारीगण तथा राजस्थान के कोने-कोने से पधारें
समाज के समाज सेवी महानुभाओं के समक्ष यह नियम समाज के उत्थान के लिए समाज में
लागू करने का संकल्प लिया गया, जिसमें सभी समाज बन्धुओं से करबध अनुरोध है कि इन
नियमो का पालन करें । आपका यहाँ सहयोग समाज को नई उचाईयों पर ले जाने व समाज के
विकास में भागीदारी रहेगी।
“जय प्रजापति समाज”
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