रविवार, 12 फ़रवरी 2012

श्री संत गोरा कुम्हार (इ.स. १२६७ ते १३१७)


        तेरेडोकी गांवमें गोरा कुम्हार नामक एक विठ्ठलभक्त था । कुम्हारका काम करते समय भी वह निरंतर पांडुरंगके भजनमें तल्लीन रहता था । पांडुरंगके नामजपमें वह सदा मग्न होता था । एक बार उसकी पत्नी अपने इकलौते छोटे बच्चेको आंगनमें रखकर पानी भरने गई श्री संत । उस समय गोरा कुम्हार मटके बनानेके लिए आवश्यक मिट्टी पैरोंसे  मिलाते हुए पांडुरंगका भजन कर रहा था ।  उसमें वह अत्यंत तल्लीन हुआ था । बाजूमें ही खेल रहा छोटा बच्चा रेंगते हुए आया और उस मिट्टीकी ढेरमें गिर गया । गोरा कुम्हार अपने पैरोंसे मिट्टी ऊपर-नीचे कर रहा था । मिट्टीके साथ उसने अपने बच्चेको भी रौंद डाला । मिट्टी रौंदते समय पांडुरंगके भजनमें मग्न होनेके कारण बच्चेका रोना भी उसे सुनाई नहीं दिया ।

        पानी भरकर आनेके उपरांत उसकी पत्नी बच्चेको ढूंढने लगी । बालक दिखाई नहीं देनेपर वह गोरा कुम्हारके पास गई । इतनेमें उसकी दृष्टि कीचडमें गई, कीचड रक्तसे लाल हुआ देखकर उसे समझमें आया कि बालक रौंदा गया है । वह जोरसे चीख पडी और अपने पतिपर बहुत क्रोध किया । अनजानेमें हुए इस कृत्यका प्रायश्चित समझकर गोरा कुम्हारने अपने दोनों हाथ तोड डाले । उसी कारण उसका कुंभकारका व्यवसाय बैठ गया । तब भगवान विठ्ठल-रखुमाई मजदूर बनकर उनके घरमें आकर रहने लगे । पुन: उसका कुम्हारका व्यवसाय फलने फूलने लगा । 

        कुछ दिनों बाद आषाढी एकादशी आई । श्री ज्ञानेश्वरजी और श्री नामदेवजी यह संतमंडली पंढरपूर जाने निकली । मार्गमें तेरेडोकीमें आकर श्री ज्ञानेश्वरजीने गोरा कुम्हार तथा उसकी पत्नीको पंढरपुरमें अपने साथ लेकर गए । गरुड पारपर नामदेवजीका कीर्तन हुआ । ज्ञानेश्वरजीके समेत सर्व संतमंडली कीर्तन सुनने बैठी । गोरा कुम्हार भी अपने पत्नीके साथ कीर्तन सुनने बैठे । कीर्तनके समय लोग हाथ ऊपर उठाकर तालियां बजाने लगे । विठ्ठल नामका जयकार करने लगे; उस समय गोरा कुम्हारने भी अपने लूले हाथ अचानक ऊपर किए । तब उस लूले हाथोंको भी हाथ आ गए । यह देखकर संतमंडली हर्षित हुई ।  सर्व लोगोंने पांडुरंगका जयघोष किया । 

        गोरा कुम्हारकी पत्नीने श्री विठ्ठलसे दयाकी भीख मांगी ।'' हे पंढरीनाथ,  मेरा बच्चा पतिके चरणोंतले रौंदा गया; मैं बच्चेके बिना दुःखी हो गई हूं । हे विठ्ठल, मुझपर दया करो । मुझे मेरा बच्चा दो ।'' पंढरीनाथने उसकी विनती सुनी । कीचडमें रौंदा गया बच्चा रेंगते-रेंगते सभासे उसके पास आते हुए उसे दिखा । उसने जाकर बच्चेको अपनी गोदीमें लिया । संतमंडलीके साथ सभीने हर्षित होकर तालियां बजाई ।

4 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत ही बढ़िया जानकारी दी है आपने|

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  2. गौरा कुम्भकार पर तमिल,तेलगू एवं मराठी भाषा पर फिल्में भी बन चुकी है।

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  3. गौरा कुम्भकार पर तमिल,तेलगू एवं मराठी भाषा पर फिल्में भी बन चुकी है।

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