शुक्रवार, 23 सितंबर 2011

"श्री प्रजापति समाज का संकल्प पत्र"


प्रिय प्रजापति समाज बन्धुओं,
                   आपको जानकर अत्यंत हर्ष होगा कि समाज में फैली कुरुतियां व झुठी शान को बढ़ावा देने वाली झुठी शान-शोकत वली बुराई को मिटाने व समाज में गरीबी-अमीरी को परस्पर ताल-मेल बिठाने हेतु समाज बन्धुओं ने निम्न प्रकार के विचार बिन्दू रखें हैं, जिनको हम सब समाज बन्धुओं को अमल में लाना हैं।
1. समाज में मृत्यु होने पर बैठक होती है उस बैठक में चाय पीना और पिलाना बन्द  किया गया है, जहां तक हो सके मृत्यु भोज भी खाना बन्द करें।
2.समाज में मृत्यु उपरांत होने वाली पगड़ी रस्म(टीका) में 500/ रु., भात की पहरावणी में 1100/रु. व शादी की पहरावणी(कचौला) में 2100/रु. से ज्यादा नही देगें इससे कम देने और लेने वाले समाज के प्रेरणादायक महापुरुष होगें।
3.मरने उपरांत गंगा जी जाने पर बेटी-जंवाई को ले जाना मना है, शीशी पूजन पर एक जोडे को ही कपड़ा देवें, अगर किसी का पति मरता है और उसकी औरत तीर्थ पर साथ जाती है तो उसको भी लूगड़ी,कपड़े दे सकते हैं।
4.मरने पर खफन(दुसाला)ससुराल व पीहर वाले ही औढ़ावें बाकि रिश्तेदार नारियाल व गुलाल ही ले कर जावें,यह नारियल उस चिता में एक हवन का काम करेगा जबकि दुसाला श्मशानों में उड़ता फिरता हैं।
5.शादी की पहरावणी के भात में अपनी बहन-बेटी साथ ले जाने पर कपड़ा नही देवें,अगर देना है तो अपने घर आने पर देवें,वहाँ केवल समधी के बताये गये कपड़ें ही लेकर जावें, अगर उस गाँव में अपने गाँव की लड़की है या परिवार की लड़की है तो उसका कपड़ें दे सकते हैं।
6.जामणा(जलवा) की पहरावणी बन्द रहेगी ज्यादा से ज्यादा सासुओं कपड़े दे सकते हैं।
              ये उपरोक्त नियम समाज के प्रतिभा सम्मान समारोह जुगजीवण बाबा दादर बावड़ी स्थान पर लिया गया, जिसमें समाज की समिति के पदाधिकारीगण,प्रजापति विकास परिषद के अध्यक्ष व पदाधिकारीगण,चौमुँ-आमेर तहसील के सभी ब्लाँको के अध्यक्ष व पदाधीकारीगण तथा राजस्थान के कोने-कोने से पधारें समाज के समाज सेवी महानुभाओं के समक्ष यह नियम समाज के उत्थान के लिए समाज में लागू करने का संकल्प लिया गया, जिसमें सभी समाज बन्धुओं से करबध अनुरोध है कि इन नियमो का पालन करें । आपका यहाँ सहयोग समाज को नई उचाईयों पर ले जाने व समाज के विकास में भागीदारी रहेगी।
                                       “जय प्रजापति समाज”

सोमवार, 5 सितंबर 2011

प्रजापति समाज संगठित हो


प्रजापति विकास समिति चौमूँ-आमेर को समाज के हर घर तक पहुँचाने के प्रयासों के मध्य नजर दिनांक 04/09/2011 को गोविन्दगढ़ ब्लाँक की कार्यकारिणी का गठन किय गया। ब्लाक के गाँवों के समाज बन्धुओं ने सर्वसम्मति से अध्यक्ष सुणाराम जी होदकास्या मलिकपुर,सचिव मुरलीधर जी बारावाल मलिकपुर तथा कोषाध्यक्ष कजोड़मल बासनीवाल गोविन्दगढ़ को बनाया गया।
नव नियुक्त अध्यक्ष ने इस अवसर पर बोलते हुए कहाँ कि,समाज का विकास तभी हो सकता है जब हम सभी को साथ लेकर चले और आपसी मतभेदों को भूलाकर समाज विकास को सर्वोपरि माना जाये।
इस मौके पर मुख्य कार्यकारिणि के कई सदस्य मौजूद थे।

बूँद से बूँद मिले दो बंधु,
विशाल सगार बनता है।
तिनका का तिनके से मिलकर,
हाथी को बस में करता है।
कण से कण जुड़कर,
मजबूत बाँध दिवार बनती है।
चिनगारी से चिनगारी मिलकर,
शोलों सी भड़कती है।
मिट्टी को रौन्दते युवा मेरे,
कलयुग में संघ शक्ति होती है।

                      "जय प्रजापति समाज" 

समाज के दान दाताओं से विनम्र अपील !


समाज (प्रजापति) में दानदाताओं की कोई कमी नही समाज के नाम पर हर वर्ष समाज का करोडों रुपये, किसी मन्दिर,धर्मशाला या अन्य आयोजनों के नाम पर दान पेटी में जाता हैं। राजस्थान प्रदेश कि बात करें तो मारवाड क्षेत्र में एक कुम्हार!प्रजापति समाज की पट्टी में आपकों समाज का मन्दिर मिलेगा। भारत का तकनीकि शहर बैंगलुरु में मुझे दो बार जाने का अवसर मिला।बैंगलुरु के चारों हिस्सो में प्रजापति समाज के संगठन कार्य कर रहे है। जिनमें से एक संगठन ने कोटनपेट व दूसरे ने कुत्तुनूरधिचें में एक वर्ष पूर्व समाज के करोडों रुपयों का संग्रह कर श्रीयादे माता मन्दिरों की स्थापना की। मन्दिरो से किसी को लाभ हुआ या नही पर मुझे दुःख है कि अगर इतने रुपयों का निवेश समाज की युवा पीढ़ी की शिक्षा पर खर्च किये जाते तो समाज को कई नये इंजिनियर,डाँक्टर और अधिकारी तैयार होटल जो समाज के साथ_साथ देश के विकास में भी अहम भूमिका निभाते।
दान देते समय कुछ बातों का अवश्य ध्यान रखे।
1. आप के दान का पुण्य तभी आपको मिलेगा जब उसका लक्ष्य पवित्र होगा।
2. दान देते समय यह विचार नही करना चाहिए की इससे समाज में आपका नाम कितना होगा।
3.दिये गये दान का सही जगह तथा पूर्ण इस्तेमाल हुआ है या नही इसका अवश्य ध्यान रखे।
4. समाज में असामाजिक तत्वों के कारण कई बार आपका दान गलत हाथों में चला जाता ।
दान देकर इतिश्रीकर लेना समाज के विकास को पिछे की ओर धकेलता है,अगर आपके दान दिये धन से कोई अपराधी या गलत संगत को चला जाता है तो इसके दोषी भी आप ही होंगे।
समाज के होनहार विधार्थी की सहायता कीजिए,समाज की बालिकाओं को शिक्षित होने में सहयता कीजिए।मुर्ति मन्दिरो से आपकों दुआएँ न जाने कब मिलेंगी पर बालिकाओं, कमजोर समाज के विधार्थियों की सहायता करने में आपकी आत्मा को शांति व शुकुन अवश्य प्राप्त होगा।
                                  जय प्रजापति समाज
                             श्री रामरतन जी गोविन्दगढ़  

शनिवार, 3 सितंबर 2011

मिट्टी को रौदंता युवा


चला हूँ अकेला,
राह में साथ किसी का मिल जायेगा ।
देख समाज की दशा,
आशा है सुलगता दिया कोई मिल जायेगा ।
बातों में पुल बाँधते,
डूबने से है अछा, कोई किनारा मिल जायेगा ।
पैंसठ के हुये नेता,
मिट्टी को रौंदंता युवा कोई राह में मिल जायेगा।
              
         "जय श्री प्रजापति समाज" 

शुक्रवार, 2 सितंबर 2011

अब बारी है


अब बारी है कुछ करने की।
पैसठं साल गुजर गये सोने में,
अब तो समय मुहँ धोने का हैं।
अज्ञानता के साथ बहुत जी लिए,
अब विवेकी बनने की बारी हैं।
क्यों दूसरों को वोट देता आया,
अब वोट लेने की बारी हमारी है।
अब जाग ओ मेहनत के पुजारी,
समाज की एकता दिखाने की बारी है।
फूट डाल राज दूसरे करते रहे,
यह राज समझने की बारी हमारी है।
                              
      श्री रामरतन जी प्रजापति 

दिवा स्वप्न रहा , माटी कला बोर्ड


बढ़ती महँगाई और घटती आमदनी के बीच प्रजापति समाज की आजीविका का स्त्रोत मिट्टी से बर्तन बनाना,मुश्किल होता जा रहा है। आज कुम्हार परिवारों की हालात यह हैं कि खराब हो रही आर्थिक स्थिती के कारण समाज के लोग मूल व्यवसाय को छौड़कर अन्य व्यवसायों की ओर मुहँ ताकना पड़ रह है।
प्रजापति समाज की स्थिति सुधारने के लिये राज्य की पूर्व मुख्यमंत्री वसुन्धरा राजे ने माटी कला बोर्ड का गठन किया था। परंतु वर्तमान कांग्रेस सरकार ने वोट बैंक की राजनीति के चलते माटी कला बोर्ड का गठन नही किया । जिससे इस बोर्ड के गठन से प्रजापति समाज को जो लाभ मिलने वाला है,वह मात्र समाज बंधुओं के लिए दिवा स्वप्न ही रहा है।
                                                              
                                                            "जय श्री प्रजापति समाज"
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