सृष्टि कि रचना निर्माण,प्रबंध और संहार के कार्यो को अलग-अलग देवताओ को दिया गया है।ब्रह्मा जी को रचयिता,विष्णु को पालनकर्त्ता व महाकाल शिव को संहारकर्ता के रुप में माना जाता है।
प्रजापति को ब्रह्मा जी का मानस पुत्र माना जाता है।ब्रह्मा जिन्होने सृष्टि का निर्माण किया। प्रजापति को ही ब्रह्मा के
स्वरुप में माना जाता रहा है। इससे स्पष्ट है कि प्रजापति का स्थान सर्वेश्रेष्ठों में आता है।
प्राचीन वैदिक भाषा में प्रजापति को कुम्भकार के नाम से जाना जाता था और कुम्भकार शब्द कालांतर में तदभव रुप में कुम्हार बन गया।कुम्भ अर्थात कलश का प्राचीन काल से महत्त्व चला आ रहा है,कलश के शीर्ष,मध्य व अंतिम तल भाग में तीनो ब्रह्मा,विष्णु व सदाशिव का निवास माना गया है जिसके चलते कलश का वर्तमान में भी धर्मिक महत्त्व है। मिट्टी का कलश मात्र कलश नही देवताओ का निवास स्थल है,और जो इस कलश का निर्माता है,उसका सम्मान अपने आप ऊपर हो जाता है।
रामरतन जी(गोविन्दगढ)
bangalore me kumar samaj ne is saal beej pe koi parsadi nhi ki..south wale.........lagta h hari ram jese manti sab pesa kha gayer
जवाब देंहटाएंजी नमस्कार
जवाब देंहटाएंमें सुरेन्द्र प्रजापति टाक
जी आप से कॉन्टेक्ट करना चाहता हु आप अपना फोन नंबर भेजो
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