श्री राजपूत सभा जयपुर द्वारा प्रकाशित"राजस्थान के कछवाहा" नामक पुस्तक में लेखक कुंवर देवी सिंह मण्डावा ने कछवाहा राजवंश की ऐतिहासिक पृष्ठ भूमि में लिखा है कि आमेर के राजा श्री चन्द्रसेन जी के राज्य काल में दिल्ली के लोदी सुल्तान के सेनापति हिन्दाल ने जब अमरसर के शेखावतों पर हमला किया तब राजा चन्द्रसेन जी ने अपने छोटे पुत्र कुम्भा जी को राव रायमल जी शेखावत की मदद को भेजा । इस युध्द में कुम्भा जी वीरता पूर्वक लड़ते हुए वीरगति को प्राप्त हुए ।
वर्तमान में कुम्भा जी के वंशज "कुम्भावत" या "कुमावत" कहलाते हैं ।
कुमावतों का मुख्य ठिकाना महार था । कुमावतों का महार ताजिमी ठिकाना था । कुमावतों का छोटी महार,बघवड़ा,पालड़ी,बीसोल्या आदि ठिकाने थे । बीकानेर राज्य में कुमावतों का एक ठिकाना सादि ताजीमा भालेरी(चुरु) था। आमेर के राजा श्री चन्द्रसेन जी की मृत्यु के बाद उनके बड़े पुत्र पृथ्वीराज जी आमेर की गददी पर 11 फरवरी सन 1503 को बैठे । राजा पृथ्वीराज के बाद उनके पुत्र राजा भरमल जी ने कछवाहा राजपूतों की 12 कोटड़ी(खांप या तड़) कायम की "12 कोटड़ी" पुस्तक अनुसार (1) हमीरदेका , (2) कुम्भाणी , (3) स्योब्रहमपोता , (4) वणवीरपोता , (5)कुमावत ,(6)पच्याणोत ,(7)सुलतानोता , (8)नथावत , (9)खंगारोत ,(10)बलभद्रोत , (11) चतुर्भुजोत , (12)कल्यणोत , आदि सर्व मान्य 12 कोटड़ी थी ।
जयपुर मर्दुमशुमारी (सम्वत 1889 ) के अनुसार कछ्वाहा राजपूतों की (1) हमीरदेका , (2) कुम्भाणी , (3) स्योब्रहमपोता , (4)कुमावत , (5)रामसिहोत , (6)पच्याणोत ,(7)सुलतानोता , (8)नथावत , (9)खंगारोत ,(10)बलभद्रोत , (11) चतुर्भुजोत , (12)कल्यणोत , (13) पुरण्मलोत, (14)प्रतापपोता, (15) सांईदासोत, (16) कोटड़ी (खाप) थी ।
उपरोक्त एतिहासिक रिकार्ड से स्पष्ट है कि "कुमावत" कछहावा राजपूतों की एक कोटड़ी या खांप है । जो आमेर के राजा श्री चन्द्रशेन जी के छोटे पुत्र कुम्भा जी के वंशज है । वर्तमान में "कुमावत" कोटड़ी के कछहावा राजपुत जयपुर के आसपास आमेर,चौमूं व शाहपुरा तहसील के गांव छोटी महार ,बड़ी महार,बगवाड़ा,पुन्याणा व अमरपुरा मे तथा चुरु जिले में भालेरी गांव में निवास करते है । अतः कुम्हार जाति को "कुमावत" शब्द लिखने का अधिकार नही है ।
सौजन्य से (प्रजापति दर्पण निर्माता)
" जय श्री प्रजापति समाज "
कुमावत और कुम्हार (कुंभकार) दोनों अलग अलग जातियाँ हैं कुमावत(कुंभबाबत) 13वीं शताब्दी में जैसलमेर के लोद्रव में राजा रावल कहर द्वितीय के समय पर 9 राजपूत गौत्रों से मिलकर बनी एक जाति है जोकि विधवा विवाह के प्रचलन से बनी थी जबकि कुंभकार आदि काल से कुंभ बनाने वाली जाति है
जवाब देंहटाएंAapne BILKUL sahi kaha par hamari jati kumhaar jati k log kumawat QLaga rahe h kya aap iska biroth nhi kar rahe h pl bataiye me sunil Prajapati
हटाएंShi hai jati kumahar hai glt like hai ye log
हटाएंNo kumawat or kumahar alg h
हटाएंBoth are Kshatriya in Hindu rituals.
हटाएंKumawat hi Prajapati hote Hain
हटाएंAlag hai ek na Karo in 2 jati o ko
हटाएंइतिहास को छेड़ो मत कुम्हार और कुमावत एक ही हे https://prajapatiandkumawat.wordpress.com/2016/02/15/%e0%a4%aa%e0%a5%8d%e0%a4%b0%e0%a4%9c%e0%a4%be%e0%a4%aa%e0%a4%a4%e0%a4%bf-%e0%a4%8f%e0%a4%b5%e0%a4%82-%e0%a4%95%e0%a5%81%e0%a4%ae%e0%a4%be%e0%a4%b5%e0%a4%a4-%e0%a4%8f%e0%a4%95-%e0%a4%aa%e0%a4%b0/ ये देख लो
हटाएंहाथ में कलम क्या आई , लोग कुछ भी लिखने लग जाते हैं आजकल :(
जवाब देंहटाएंसिर्फ एक line सही लिखी पूरे बकवास में "कुम्हार जाति को "कुमावत" शब्द लिखने का अधिकार नही है ।"
actual history here goes :
कुमावत (कुंबाबत) इतिहास न केवल गौरवशाली है अपितु शौर्य गाथाओं से पटा पड़ा है जिसका उल्लेख श्री हनुमानदान ‘चंडीसा’ ने अपनी पुस्तक ‘‘मारू कुंबार’’ में किया है। श्री चंडीसा का परिचय उस समाज से है जो राजपूत एवं कुमावत समाज की वंशावली लिखने का कार्य करते रहे हैं।
कुमावत समाज के गौरवशाली इतिहास का वर्णन करते हुए ‘श्री चंडीसा’ ने लिखा है कि जैसलमेर के महान् संत श्री गरवा जी जोकि एक भाटी राजपूत थे, ने जैसलमेर के राजा रावल केहर द्वितीय के काल में विक्रम संवत् 1316 वैशाख सुदी 9 को राजपूत जाति में विधवा विवाह (नाता व्यवस्था) प्रचलित करके एक नई जाति बनायी। जिसमें 9 (नौ) राजपूती गोत्रें के 62 राजपूत (अलग-अलग भागों से आये हुए) शामिल हुए। इसी आधार पर इस जाति की 62 गौत्रें बनी जिसका वर्णन नीचे किया गया है। विधवा विवाह चूंकि उस समय राजपूत समाज में प्रचलित नहीं था इसलिए श्री गरवा जी महाराज ने विधवा लड़कियों का विवाह करके उन्हें एक नया सधवा जीवन दिया जिनके पति युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो गए थे।
श्री गरवा जी के नेतृत्व में सम्पन्न हुए इस कार्य के उपरांत बैठक ने जाति के नामकरण के लिए शुभ शुक्न (मुहूर्त) हेतु गॉंव से बाहर प्रस्थान किया गया। इस समुदाय को गॉंव से बाहर सर्वप्रथम एक बावत कॅंवर नाम की एक भाटी राजपूत कन्या पानी का मटका लाते हुए दिखी। जिसे सभी ने एक शुभ शुगन माना। इसी आधार पर श्री गरवाजी ने जाति के दो नाम सुझाए- 1. संस्कृत में मटके को कुंभ तथा लाने वाली कन्या का नाम बावत को जोड़कर नाम रखा गया कुंबाबत (कुम्भ+बाबत) राजपूत (जैसे कि सुमदाय की तरफ कुंभ आ रहा था इसलिए इसका एक रूप कुम्भ+आवत ¾ कुमावत भी रखा गया) 2. इस जाति का दूसरा नाम मारू कुंबार भी दिया गया, राजस्थानी में मारू का अर्थ होता है राजपूत तथा कुंभ गॉंव के बाहर मिला था इसलिए कुंभ+बाहर ¾ कुंबार। इस लिए इस जाति के दो नाम प्रचलित है कुंबाबत राजपूत (कुमावत क्षत्रिय) व मारू कुंबार। इस जाति का कुम्हार, कुम्भकार, प्रजापत जाति से कोई संबंध नहीं है। कालान्तर में जैसलमेर में पड़ने वाले भयंकर अकालों के कारण खेती या अन्य कार्य करने वाले कुंबावत राजस्थान को छोड़कर देश के अन्य प्रांतों जैसे पंजाब, हरियाणा, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश में चले गए। इस कारण से कुंबावत (कुमावत) एवं उसकी गोत्रों का स्वरूप बदलता रहा। लेकिन व्यवसाय (सरकारी सेवा, जवाहरात का कार्य व कृषि) एवं राजपूत रीति-रिवाजों को आज तक नहीं छोड़ा है।
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हटाएंOK good story
हटाएंहा जी मारू कुंभार में हनुमानदास चडीसा ने अच्छा लिखा है और सत्य लिखा है,क्या आप के पास वो पुस्तक है?.......मेरा परिचय अभिषेक चौहान राजपूत (पंजाब)
हटाएंYes,,,mere pass he ,book ki original copy,,,I m dr.madhav kumawat,,barmer, Rajasthan
हटाएंSir मुझे कुम्हार समाज का इतिहास चाहिए कहा मिलेगा
हटाएंKha se milegi ye book
हटाएंकुम्हार= कुम्भ + कार अर्थ कुम्भ= घडा कार=कारीगरी करने वाला अथार्थ घडा बनाने वाला। कुम्हार आदि काल लाखों वर्षो से (रामायण, महाभारत) से ही है कुम्हारो में से एक जाती बनी जो घड़ा बनाना छोड़कर खेती करने लगी जिसे खतेड़ा कुम्हार कहने लगे
जवाब देंहटाएंकुम्भा जी एक क्षत्रिये राजपूत जाती से थे कुम्भा जी के वशं से एक जाती बनी जिसे क्षत्रिये कुमावत कहते थे कुम्भा जी की कुमावत जाती में विधवा विवाह प्रथा लागु हो गयी जो पहले राजपूतों में नहीं थी इसलिए राजपूत वंश ने कुम्भा जी की कुमावत जाती को राजपूत जाती से नीची श्रेणी में अलग कर दिया
कुम्भा जी की क्षत्रिये जाती राजपूत जाति से निकल कर बनी जैसे राजपूत जाती से निकलकर यदुवंशी जाती बनी जो क्षत्रिये थे युद्ध लड़ते थे जिसमे कृषन भगवान का जन्म हुआ जो जाती आज राजपूत जाती से अलग होकर यादव जाती कहलाती है
राजपूत कुम्भा जी की क्षत्रिये कुमावत जाती नीची श्रेणी में आने से कुम्हार से खतेडा कुम्हार बनी जाती भी कुमावत लगाने लगी जिससे राजपूत वंश को कोई एतराज नहीं हुआ इस प्रकार धीरे धीरे कुम्हार से खतेडा कुम्हार बनी जाती कुमावत लगाने लगे क्षत्रिये कुमावत
आज तक के इतिहास में कोई कुम्हार कुमावत राजा नहीं बना जागीदार नहीं बना कभी युद्ध नहीं लड़ा
में खतेडा कुम्हार हूँ जो कुमावत लगता हु लेकिन यह नहीं कहता की में कुमावत कुम्भा जी की जाती से होने पर लगता हूँ में कुमावत इसलिए लगता हु की में कुम्हार से बना खतेड़ा कुम्हार हु जिसमे कई पीढ़ियों से मटके नहीं बनते है सिर्फ खेती और मकान बनाने का काम करते है
कुम्हार शब्द लाखों साल पुराने ग्रंथों जैसे रामायण महाभारत में मिल जायेगा लेकिन कुमावत शब्द कही नहीं मिलेगा
अगर कुम्हार से खतेडा कुम्हार बना कुमावत अपने आपको कुम्भा जी की राजपूत जाती क्षत्रिये कुमावत बताता है तो उनके गोत्र लाखो साल पहले बनी कुम्हार जाती से क्यों मिलते है : जैसे दम्बीवाल, कुण्डलवाल, मारवाल, किरोड़ीवाल, राजोरियां, बासनीवाल, ये सब लाखो साल बनी कुम्हार जाती के गोत्र है. कुम्हार से बनी खतेडा कुम्हार जाती ने अपनी जाती तो बदल ली लेकिन गोत्र क्यों नहीं बदले
कुम्हारों में कई लोग सोने चांदी के गहने बनाने का काम करते है जो कई सालो बाद पैसे वाले बन जायेंगे उनका रहन सहन हाव भाव विचार सब बदल जायेंगे जो आगे चलकर स्वर्णकार कुमावत लगाने लग जायेंगे सेकड़ों सालो बाद उनकी पीढियां कहेगी हमारी सुनारों से निकली हुए जाती है
इसलिए गर्व से बोलो हम कुम्हार, प्रजापति, खतेडा, मतेडा, कुमावत = हम कुम्हार है
मै आप को समर्थनदेता हु मै भी एक कुम्हार हु मैरा गोत्र भाटी है
हटाएंकुमावत क्यों लगा रखा है नाम के आगे__ ?
हटाएंआप कि बात सही हैं
हटाएंमुकेश राजोरिया
vastvmi kumahar sabd se hi anye sabd utpn ho gyee
हटाएंJay hind
हम सभी प्रजापति लोग एक ह सभी प्रजापति है कोई कुमावत या कुमार नही है हम प्रजापति है बस
हटाएंUp me all prajapat and prajapati smaj ko sc bna diya gya h kyu ???
हटाएंBhut shi bhai pr mujhe ye bta skta h koi ki hm. Log raja daksh k vanshaj kaise h. Plz
हटाएंहम सभी प्रजापति कुम्हार है
हटाएंप्रजापति कुम्हार में सात वर्ण होते है यानी सात तरह के कुम्हार
जब इतिहास सुना नही !पढा नही तो मालुम क्या होगा !कुमावत समाज बना ही 1300ई के आसपास है तो रामायण ओर महाभारत मे जिकर कैसे आएगा !शर्म नही आती आपको एसी जानकारी पर !कुमावत गुरू गरवा जी कि देन है !ये प्रजापति नही है !मै खुद बोरावट गौत्र से हू ओर हम बरावङ ,बुरावङ ,बोरावङ ओर बोरावट जैसै गौत्र नाम लिखते है !कारण यही है की जैसे तैसे समय गुजरता है वैसे कोई भी नाम सुविधानुसार बोला जाने लगा !कुंबार ही भाषा अपभ्रंस कुम्हार कहला रहे है जो प्रजापति कुंभकार से अलग है ओर बिल्कुल !एकता यहै है कि सब सनातन है ओर विभक्ति ये है कि जाति गोत्र अलग है !
हटाएंSahi kaha aapne ji
हटाएंMe fatehabad haryana se hu
Yaha sbhi ko kumhar hi kaha jata he lekin kumhar se humara koi rista nata nhi he
महार कुम्हार जो देश के कोने कोने में वे भी महार गांव से निकले है। महार राजपूत भी होते है
हटाएंकुमावत (क्षत्रिय) जाति के इतिहास संबंधी जानकारी
जवाब देंहटाएंकुमावत इतिहास के बारे में नरेश और मनीष जी ने ऊपर जो लिखा है वह बिल्कुल सही और प्रमाणिक है।
मनीष जी की ये लार्इन ‘‘हाथ में कलम क्या आई, लोग कुछ भी लिखने लग जाते हैं ‘‘प्रहलाद बन्धु ने इसे कुमावत जाति की गलत जानकारी देकर सही सिद्ध कर दिया है। बन्धु, आपने कुमावत जाति के बारे में बहुत कुछ लिखा है तो आप निम्न जानकारी दें -
1- कुम्भकार जाति आदि काल से (ये सही है और आपने भी लिखा है) है जबकि कुम्भावत (कुमावत) जाति तो 800 साल पहले बनी हैं। ये एक कैसे हो सकती हैं ?
2- जिन राजपूतों ने विधवा विवाह अपनाया उनकों राजपूत जाति से नहीं निकाला गया और न ही किसी नीची श्रेणी में आए। उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाने के लिए एक नयी जाति ‘कुम्भावत राजपूत’ बनायी। इतिहास में ऐसी कर्इ जातियॉं के उदाहरण हैं जिन्होंने किसी कारण वश मूल जाति से अलग होकर अपनी नर्इ जाति बनायी है। क्या आप किसी ऐसी अन्य जाति नाम बताओगे जिसने दूसरी जाति का नाम अपनाया हो ?
3- यादव जाति महाराज यदु के वंशज है न कि राजपूत जाति से निकल कर बनी जाति है।
4- कुम्भावत जाति का इतिहास न केवल युद्धों से अपितु युद्धवीरों से भरा पड़ा है। जैसलमेर के राजा रावल केहर को बादशाह की कैद से कुमावत जांबाजों ने युद्ध करके छुड़वाया था। जिसके बाद राजा ने अपना सिंहासन कुमावतों के गुरू गरवाजी को सौंपा दिया था। ऐसे युद्धों की हजारों घटनाएॅं कुमावत इतिहास में भरी पड़ी है।
5- राजपूत जाति की गोत्रें चौहान, भाटी, पड़िहार, सौलंकी, तंवर ये सभी मेघवाल और नायक समाज में भी मिल जायेंगी। क्या ये सभी जातियॉं एक हैं ?
6- प्रहलाद बन्धु आपकी जानकारी किसी किताब में लिखी हैं नाम बतायें ?
बन्धु, कुम्भकार (प्रजापति) और कुमावत दो अलग-अलग जातियॉं है। ये ऐतिहासिक सत्य है इसे सहर्ष स्वीकारो। हॉं, कुछ प्रजापति (मटका व्यवसायी) अपने को कुमावत बनाने का प्रयास कर रहे हैं जोकि गलत है। आप उन्हें रोकें ताकि प्रजापति समाज का समाजिक विकास हो सके।
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हटाएंआप सही कह रहे है श्रीमान कुमावत राजपूत ही हो सकते हैं । कुम्हार कभी भी आपकी बराबरी नही कर सकते और आ नही कुम्हार आप जेसे बनना चाहेंगे । क्योंकि कुम्हार एक बहुत ही धार्मिक जाति है।वह डरकर अपनी जान तथा सत्ता बचाने के लिए अपनी लड्की को अकबर जैसे के साथ कभी नही ब्याहेगी ये महान कार्य एक क्षत्रिय जाति ही कर सकती है और इसमे अपना गौरव महसूस कर सकती है । ऐसे क्षत्रिय होने से अच्छा दलित होना अच्छा है ।
हटाएंएकदम सही कहा भाई साहब आपने एक सत्य
हटाएंकुमावत
हटाएं800साल पहले राजपतौ में जौहर प्रथा एव सती प्रथा प्रचलित थी!और नाता प्रथा तो अभी भी स्वीकार नहीं हैं|
हटाएंChaman sir excellent answer!
हटाएंइस टिप्पणी को लेखक द्वारा हटा दिया गया है.
हटाएंनामकरण:----
जवाब देंहटाएंचूँकि नाता प्रथा शुरू हो जाने से राजपूतो में यह एक अलग समूह बन गया, सो इसके नामकरण की आवश्यकता महसूस हुई। गरवा जी ने इसके शुभ सकून के लिये अपने शिश्यों के साथ गांव से बाहर प्रस्थान किया तो सर्वप्रथम एक बावत कँवर नाम की भाटी राजपूत कन्या मटका लाते हुए दिखी,जिसे सभी ने शुभ सकुन माना।
इसी आधार पर गरवा जी ने जाति के दो नाम सुझाये 1.संस्कृत में मटके को कुम्भ और लाने वाली कन्या बावत का नाम कुम्भ+बावत_कुम्बावत । 2. इस जाति का नाम मारू कुम्बार भी दिया गया ,कुम्भ जो गांव से बाहर मिला कुंभ+बाहर_कुम्बार, मारू का अर्थ राजपूत से सम्बंधित ।
अतः इस जाति के दो नाम प्रचलन में आये कुम्बावत राजपूत और मारू कुम्बार ।
जैसे जैसे ये खबर देश के विभिन क्षेत्रो में फैली राजपूतो से और भी कुम्बावत बने ओर बनते गए अब लगभग 320 गोत्र है
सर्वप्रथम बने 62 गोत्र....
1.भाटी से:-- बोरावड़ मंगलाव् लिम्बा पोड़ खुड़िया भटिया माहर नोखवाल भिड़ानिया सोखल डाल तलफियाड़ भाटीवाल आईतान झटवाल मोर मंगलोडा।
2. चौहान:-- टाक बंग साउवाल सार्डीवाल गुरिया माल घोड़ेला सिंगाटिया निम्बिवाल छापरवाल सरस्वा कुकड़वाल भरिया कलवासना खरनालिया।
3. पड़िहार:--- मेरथा चांदोरा गम गोहल गंगपरिया मांगर धुतिया।
4. राठौड़:-- चाडा रावड़ किता कालोड दांतलेचा पगाला सुथोड् जालप।
5.पंवार:----लखेसर छपोला जाखडा रसियड
दुगट पेसवा आरोड किरोड़ीवाल।
6. तंवर:--- गेधर सांवल कलसिया
7. गुहिल:---सुडा ।
8. सिसोदिया:--- ओस्तवाल कुचेरिया।
9. दैया:---दैया।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
आप ने अच्छा लिखा आप कोबहुत बधाइयाँ
हटाएंBhai ye SUTHOR rathor rajputo se related h kisne btaya aapko, koi refrencre btaye...Or bhai aap mujhe ye bhi btaye ki SUTHOR Hanumangarh Rajasthan k ek hi gaaw m h ya unki santane do chaar jagah h baaki or khna paaye jaate h ....
हटाएंAap apne Rao ji ko bula sakte he,,aapko Puri jankari mil jayegi,,,,
हटाएंIsme khatuwal gotra nhi likha he
हटाएंकुम्हार प्रजापति और कुमावत जाती अलग अलग हे
जवाब देंहटाएंKase alag hai mujhe batao
हटाएंनही भाई कुम्हार जाति में सात वर्ण है
हटाएंओर कुमावत या मारू कुम्हार एक ही है
Sabi ak hi he samay anusar apna parivartan karte gaye
हटाएंसभी समाज बंधुओं से निवेदन है की अपनी पहचान अच्छे कार्य कर बनाये न की इतिहास के आधार पर । दम काम में होना चाहिए नाम में नहीं ।
जवाब देंहटाएंसभी समाज बंधुओं से निवेदन है की अपनी पहचान अच्छे कार्य कर बनाये न की इतिहास के आधार पर । दम काम में होना चाहिए नाम में नहीं ।
जवाब देंहटाएंकुमावत क्षत्रिय समाज :-
जवाब देंहटाएंकुमावत क्षत्रिय समाज विकास समिति मालवीय नगर जयपुर की वेबसाइट में आपका हार्दिक अभिनन्दन है |
इस वेबसाइट पर विभिन्न क्षेत्र में निवास करने वाले कुमावत क्षत्रिय समाज के समाज बंधु संपर्क कर सकते हैं | कुमावत मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र व गुजरात में निवास करते हैं |
इस वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य समिति व समाज में होने वाली गतिविधियों की जानकारी समाज बंधुओ व अन्य को देना है | कुमावत समाज सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है तथा विभिन्न नामों से जाना जाता है | कुमावत समाजजनों का मुख्य व्यवसाय भवन निर्माण, शिल्पकारी, चित्रकारी, मूर्तिकारी व कृषि रहा है | समय के साथ साथ कई समाजजन पत्थर, सिमेंट से निर्मित कई वस्तुओ का निर्माण व बिक्री भी करने लगे हैं | वास्तुकला व ठेकेदारी में भी उच्च श्रेणी में कार्यरत हैं |
वर्तमान परिवेश में कुमावत क्षत्रिय समाज के युवा नई रोशनी के साथ शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं तथा उच्च शिक्षा, राजनैतिक क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, इंजीनियरिंग, सोफ्टवेयर, न्यायिक, प्रशासनिक सेवा, उद्योग आदि क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं | हमारा समाज सामुहिक विवाह आयोजन में भी अग्रणी है |
कुमावत समाज का अपना भवन उद्देश्य की पूर्ति के क्रम में भूमि प्राप्त कर श्रीगणेश कर दिया है | अगली कड़ी में निर्माण की ओर अग्रसर है | यह लक्ष्य समाज बंधुओ के तन मन धन से सहयोग करने के फलस्वरूप संभव हो सका है | इसके लिए हम सभी महानुभावों के आभारी हैं | यह वेबसाइट का पहला प्रयास है इसके लिए आपके सुझाव व प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैं |
कुमावत समाज के अपने भवन निर्माण व व्यवस्था के लिए एक प्रबंध समिति का गठन किया गया है तथा इसमें दानदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है |
सभी समाज बंधुओं से निवेदन है कि कुमावत भवन निर्माण हेतु आर्थिक सहयोग देकर अपनी भागीदारी अंकित करावें | इसमें अपने पूर्वजों के स्मरण में सहयोग कर उन्हें स्थायी स्मरणीय बनावें | आप अपना आर्थिक सहयोग कुमावत क्षत्रिय समाज विकास समिति मालवीय नगर के नाम देय चैक \ डी डी \ नगद भेज सकते हैं |
प्रजापति कुम्हार कुमावत में क्या अंतर है कोई भाई बतायेगा
जवाब देंहटाएंbhai aap ki gotra TAAK h or aap kr gotra ki history janni h to reply karna
हटाएंKoi bhai muje ye btao Tatwadia gotra konse kumhar me aata h
जवाब देंहटाएंKoi bhai muje ye btao Tatwadia gotra konse kumhar me aata h
जवाब देंहटाएंकुमावत कुम्हार ही है ये में साबित कर दूंगा
जवाब देंहटाएंकुम्हार जाति को अपने से निम्न बताने वाले इन हरामियों को ये मालूम नहीं की कुम्हार जाति लाखो वर्षो से चली आ रही है जिसके गोत्र निम्न प्रकार है;-
मारवाल
बारावाल
खोवाल
दम्बीवाल
कुंडलवला
बासनीवाल
किरोड़ीवाल
भाटीवाल
राजोरिया
घोड़ेला
मारोठिया
बडीवाल
सारड़ीवाल
जालंद्रा
खाटुवाल
छापोला
भरोदिया
और भी कुम्हार जाति के गोत्र है जो लाखो वर्षो से चले आ रहे है जिनकी लिस्ट निचे सलंग्न कर रहा हु आप पूरी लिस्ट को ध्यान से देखना दूध का दूध और पानी का पानी हो जायेगा
कुम्हार जाति लाखो वर्षो से चली आ रही है जिनका रामायण जैसे ग्रंथो में भी प्रमाण है.
अब आपको स्पष्ट यह करना है की ये सारे के सारे कुम्हार जाति के गोत्र कुमावत जाति के गोत्रों से मिलते है. कुमावत जाति का एक भी गोत्र ऐसा नहीं है जो लाखो वर्षो पुरानी कुम्हार जाति में ना मिलता हो, एक , दो , तीन, चार गोत्र तो सभी जातियों में एक दूसरे से मिल जाते है लेकिन सारे के सारे गोत्र किसी जाति से मिलते है ये बात हजम नहीं होती. कहने का मतलब ये है खतेडा कुम्हार जाति ने अपनी जाति तो बदल ली लेकिन अपने गोत्र नहीं बदले. कुमावत जाति यानि कि खेतेड़ा कुम्हार (खेती करने वाली कुम्हार जाति) 100% मेटेड़ा कुम्हार (मटका बनाने वाली कुम्हार जाति) से ही बनी है, वो भी 50-60 वर्षो में जब कुम्हार जाति में लोग थोड़े शिक्षित हो गए तो उन्हें नाम के आगे कुम्हार लगाने में शर्म आने लग गयी तब वो एक नया शब्द कुमावत का इस्तेमाल करने लग गए.
इन कुमावत जाति के बुजुर्ग इस बात को स्वीकार करते है की कुमावत जाति कुम्हार जाति से ही बनी है और आज से 50 वर्ष पहले ये एक ही जाति थी बाद में अलग हो गयी/ ये लोग अपने बुजर्गो की आँखों देखी बात को झुठला रहे है
आज भी शेखावाटी में कुम्हार और कुमावतों में वैवाहिक रिश्ते होते है और पहले भी होते थे
इन लोगो को ये मालूम नहीं की कुम्हार जाति स्वयं ब्रह्माजी की बनायीं हुए जाति है इसलिए कुम्हार को प्रजापति कहते है. हिन्दू धर्म के वेद पुराणों में स्पष्ट है की बड़े बड़े ऋषि मुनियों और देवी देवताओं ने प्रजापति के घर आश्रय लिया था और उसके घर का अन्न जल ग्रहण किया था. जिस जाति को स्वयं भगवान् ने बनाया है क्या वह जाति निम्न जाति कैसे हो सकती है.
इसलिए कुम्हार प्रजापति भाइयों सावधान रहना इन बहरूपियों से ये लोग कभी कुमावत बनते है तो कभी क्षत्रिय बनते है. इन लोगो का कोई स्वाभिमान नहीं है. ये कुछ भी कर सकते है. ये हराम खोर जिस कुम्हार प्रजापति जाति के बीज से पैदा हुए है उसी जाति को अपने से नीची जाती बता रहे है.
जय हो प्रजापति, जय हो कुम्हार देवता तेरी जय हो.
कुमावत भाइयों आप भी बोलो हम सब एक है भाई भाई है. हम सब कुम्हार है. असली कुम्हार मटका बनाने वाले
प्रजापति कुम्हार समाज के गोत्रों की लिस्ट निचे लिंक पर देखिये
ये पुरे के पुरे गोत्र लाखो साल बनी कुम्हार जाति के है और यही गोत्र कुमावत जाति के है.
https://vishwprajapatipariwar.blogspot.in/2014/12/blog-post_13.html
राजोरिया गोत्र कुम्हार,प्रजापति,कुमावत ये गोत्र तीनो में आती है।
हटाएंसही है
हटाएंधन्यवाद,मनोज एवं प्रह्लाद।आपनें सर्वथा सत्य लिखा हैं। आपका मत निःसंदेह तार्किक हैं। लोगों की तरह आपनें कल्पनाओं के राजसी सागर में गोते नहीं लगाऐ हैं। प्रसंगवश,चौहान जी की टिप्पणी भी युक्ति-युक्त है ।संक्षिप्त में-अच्छा लगे उसे अपना लो,बुरा लगे उसे जाने दो।
हटाएंRight sir
हटाएंKoi jati chhoti badi nahi hoti,,,,sb apni apni jagah pr sahi he,,,,hame jese humare dada prdada ,v Rao ne vanshawali batai hame to usi pr visvas karna padega na,,,aap ke ek kahne SE those hi chalega
हटाएंBahi ji kumhar h wo sirfe parjapati ya fir daksh lagata h ya pandat ya kumbkar ya kumbar ya gole ya fir
हटाएंजिस आदमी में बोलने की मर्यादा ही ना हो उसे क्या जवाब दिया जाए मैं तो इस लेख को लिखने वाले लेखक को सिर्फ इतना ही पूछना चाहता हूं कि यह आदमी अपने बाप को भी हरामी कहता है क्या
हटाएंयही फर्क है कुमावत और प्रजापत मे आप हरामखोर बोल रहे हो और 50-60 वर्ष कहा से बोल रहे हो आप मेरी नानी जी है 95+ के तो वो तब भी कुमावत थे और अब भी
हटाएंHmaare yha mtke wale kumhaar or kumawat me shadi nhi hoti
हटाएंकुमावत क्षत्रिय समाज :-
जवाब देंहटाएंकुमावत क्षत्रिय समाज विकास समिति मालवीय नगर जयपुर की वेबसाइट में आपका हार्दिक अभिनन्दन है |
इस वेबसाइट पर विभिन्न क्षेत्र में निवास करने वाले कुमावत क्षत्रिय समाज के समाज बंधु संपर्क कर सकते हैं | कुमावत मुख्य रूप से राजस्थान, मध्य प्रदेश, दिल्ली, महाराष्ट्र व गुजरात में निवास करते हैं |
इस वेबसाइट का मुख्य उद्देश्य समिति व समाज में होने वाली गतिविधियों की जानकारी समाज बंधुओ व अन्य को देना है | कुमावत समाज सम्पूर्ण भारत में फैला हुआ है तथा विभिन्न नामों से जाना जाता है | कुमावत समाजजनों का मुख्य व्यवसाय भवन निर्माण, शिल्पकारी, चित्रकारी, मूर्तिकारी व कृषि रहा है | समय के साथ साथ कई समाजजन पत्थर, सिमेंट से निर्मित कई वस्तुओ का निर्माण व बिक्री भी करने लगे हैं | वास्तुकला व ठेकेदारी में भी उच्च श्रेणी में कार्यरत हैं |
वर्तमान परिवेश में कुमावत क्षत्रिय समाज के युवा नई रोशनी के साथ शिक्षा के प्रति जागरूक हो रहे हैं तथा उच्च शिक्षा, राजनैतिक क्षेत्र, चिकित्सा क्षेत्र, इंजीनियरिंग, सोफ्टवेयर, न्यायिक, प्रशासनिक सेवा, उद्योग आदि क्षेत्रों में भी कार्यरत हैं | हमारा समाज सामुहिक विवाह आयोजन में भी अग्रणी है |
कुमावत समाज का अपना भवन उद्देश्य की पूर्ति के क्रम में भूमि प्राप्त कर श्रीगणेश कर दिया है | अगली कड़ी में निर्माण की ओर अग्रसर है | यह लक्ष्य समाज बंधुओ के तन मन धन से सहयोग करने के फलस्वरूप संभव हो सका है | इसके लिए हम सभी महानुभावों के आभारी हैं | यह वेबसाइट का पहला प्रयास है इसके लिए आपके सुझाव व प्रतिक्रिया सादर आमंत्रित हैं |
कुमावत समाज के अपने भवन निर्माण व व्यवस्था के लिए एक प्रबंध समिति का गठन किया गया है तथा इसमें दानदाताओं की भागीदारी सुनिश्चित की गयी है |
मैं एक कुंभकार परिवार से हूं, और मेरा सरनेम कुंभार है, सभी कुम्हार चाहे कीसीभी राज्य से हो या कोईभी अलग सरनेम लगाते हो वह सभी शैव है, आदिम है । दुनिया की अतीप्राचिन कला मिट्टी से बर्तन बनाने की है। जो आजतक चली आ रही है, और कुम्हारोंके गोत्र साक्षात भगवान शिव हैं । क्यों की कलश की रचना भगवान विष्णु से पहले हुई थी, कलश उत्पत्ति और विनाश दोनों को अपने गर्भ में सहेजकर रखता है । कलश का ऊपरी खोल साक्षात भगवान शिव और अंदर समायी साक्षात आदिशक्ति इसी कारण भगवान विष्णु को कलश प्रीय है ।
जवाब देंहटाएंMujhe ek baat samjh nhi aati, sab log apni jaati ko chhodkar RAJPUT kyu ban na chahte h....
जवाब देंहटाएंVedo me bhi likha h apna dharm apna hota chahe wo keasa bhi ho...aur jisne apne dharm ko chhoda h wo kahi ka nhi raha hain.......
जो मुगलो से डरकर अपनी लड्की का डोला उन्हे देदे एसे राजपूत नही बनना चाहते हैं हम ।नाही एसे राजपूत बनना चाहते हैं जो दुर्बल को अपना राजपूती शौर्य दिखाते हैं ।
हटाएंAre todi to srm kro rajputo Bina tum abi siria libia jese logo jese hotel Bhai
हटाएंRajputo ko kayar khne walo srm kro
हटाएंUn Kshatriya betio ne sirf apne bare me na sochkar puri riyasat ki lakho betiyo ko bachane k liye khud ko balidan kr diya
Raja sirf apni beti k bare me nhi sochte the sari riyasat k bare me sochte the
Or aaj kuch log unhe kayar bta rhe h
Unhe srm aani Chahiye
गर्व से कहो हम क्षत्रिय कुमावत है
जवाब देंहटाएंअंतर्राष्टीय नेटवर्क खड़ा किया जा रहा है क्या
जवाब देंहटाएंजो जातियो पर इतनी जबरदस्त बहस चल रही है
जो हो रहा है होने दो
जो क्षत्रिय कुमावत है वो क्षत्रिय ही रहेगे
और जो नहीं है वो नहीं रहेगी अलग अलग मुल्को में निवास करने की वजह से अलग अलग संस्कार
है उसमे किसी का कुछ भी नहीं जाता है
सबको अपना अपना दायित्व निभाने दो
में भी राजसमन्द से हु
यंहा क्षत्रिय कुमावत आबादी बस्ती है
और ऐसे बहुत से गांव है जंहा कुमार व् क्षत्रिय कुमावत और अन्य जातिया एक ही गांव में निवास करती है
पर हमने तो नहीं देखा की इन दोनों समाज में कुछ समानता हो
बिलकुल अलग है भाइयो
भविष्य में भी हम क्षत्रिय कुमावत है और रहेंगे
Dono alag he bhai ji
हटाएंHumare un kumharo se rista nata nhi hota
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जवाब देंहटाएंI read this post fully concerning the difference of latest and former stuff, it is awesome article.
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Ap ye btao ki kumhar , prajapat, kumawat alag alag h to ek dusre k sadi vivhah kyo kr rhe ho . agar ye sb alag alag h to ek dusre k sath sadi vivah q
जवाब देंहटाएंAba chutiyan kumawat or Khumar Kabhi bhi ak dusara sai sadhi nhi karta hai
हटाएंआप कुमावत हो कुमावत ही सही
जवाब देंहटाएंपर में असली कुम्हार हु और मुझे इस पर गर्व है
असलियत क़ोई जानना चाहता है तो काल 8447645597
क्यू इतिहास को तोङ रहे हो
मुझे गर्व है कि मैकुम्हार हूं
जवाब देंहटाएंRam ram bhaiyo
हटाएंKoi pagal hai jo kuch likhta hai
Hum parjapati raja daksh k vansaj hai jo ek khatirya varan se h
Bus yaad rakho hum koi nicchi jati wale nhi
सौ बातो की एक बात "सब पे भरी आरक्षण है"
जवाब देंहटाएंकुमावत कछवाहा कुशवाहा समाज लगाता है
जवाब देंहटाएंSab chodo apnay name Kay aghay Prajapati lago
जवाब देंहटाएंमुझे गर्व है की मै एक प्रजापति(कुम्हार)हू एक ऊँची जति से हू मै ब्रापुत्र महाराज दक्ष प्रजापति के वंशज है
जवाब देंहटाएंNamaskar to all...i am proud being Kumhar
जवाब देंहटाएं... Pensia Parjapati
तो फिर किरोड़ीवाल कुम्हारो की कौनसी गोत्र हैं भाइयों
जवाब देंहटाएंKirodiwal gotra bahut si jati me aati he
हटाएंGotra isliye mill jati he ki kumhar is gotra ko khud ke samaj se jod Raha
Siraf uncha hone ke liye
Prjapati jati mein kumrawat lagta he pr aaj kal log kumawat lagane lage he . Iska matlab prjapati log kumawat nahi hue kumawat ek alag jati he joki rajputo ka wansh he .
जवाब देंहटाएंI'm kumawat
जवाब देंहटाएंपहले जो थे अपने वंशज वो तो ठीक है लेकिन अब अपना समाज पिछड रहा है
जवाब देंहटाएंअब अपने समाज मे व्यव्हार नही रहा
अपने समाज के लोग एक दुसरे को देख कर जलने लगे है
मै मनोज कुमावत, रीन्गस (सीकर जिला), राजस्थान से
Bhai kargval to hm bi लेकिन hm तो kumhar lagate h
हटाएंAapka number send kro Bhai ji
हटाएंKargwal gotra kumavat jati ka he lekin bahut jgaha Kumawat ko kumhar kaha jata he
हटाएंbhai aap karagwal chouhan ho or aap ki history janni h apke gotra ki to wo bhut gorasali h aap reply karna
हटाएंMera nam Ravi Prajapati hai...
जवाब देंहटाएंMujhe samajh nahi a rha hai mera gotra kon sa hai....
bhai mere ghar me ydi koi bimar ho to main yeh ni dekhta ki agle ki jaat kya he jo doctor sahi lage usko btata hun tum log kya rajput aur kumbhar doctor ko dhundte ho aur ydi dhundte ho to dhanya he dono samaj
जवाब देंहटाएंyaha faltu ki bakwas krne se achha bhagwan shree krishna ke shlok ko yad kro wo sirf kisi rajput ya kumhar ke liye samast hindu jati k liye aur sampurna vishwa k liye tha karm kro fal dene wala upar wala he
जवाब देंहटाएंKuldeep Verma Prajapati Rajput
जवाब देंहटाएंKumawat Samaj ke Guru Maharaj kaun hai aur Kumar Samaj ke Kaun Guru Maharaj hai
जवाब देंहटाएंकुमावत कुमार कुमार प्रजापति यह सभी एक ही जाती हैं अलग अलग नहीं है आप अपना इतिहास उठा कर देखिए जो आप कुमावत बता रहे हो वह एक राजपूतों के अंदर उनका पैरान भी राजपूती वेश उषा के समान है
जवाब देंहटाएंजाटू कुम्हार कौन होते है
जवाब देंहटाएंHaryana me Kumawat ko jatu kumhar bhi kahete
हटाएंLekin khateda kumhar se alag he
गोला कुम्हार के बारे मे कुछ बताए
जवाब देंहटाएंBhai sahi khe h, m bhi kumawat hun gotra check kr sakte ho khatod! Or hamare riste ghada banane wale kumharo me nahi hote but ham jyada phadne likh nahi paye to kumhar likhne lage but this should be change!
जवाब देंहटाएंOstwal kumawat kisme aate he rajput me aate he kya
जवाब देंहटाएंAnswer me please bhaiya
aap reply karna m bta skta hu bro kon h aap ki history
हटाएं9828844753 muje kumar ka itihas h chahiy ki ye jati ratput se nikali h kya pura chahiye
जवाब देंहटाएंM azu sri Ganganagar se kumar hu
जवाब देंहटाएंBoth are kshatriyas in Hindu rituals.
जवाब देंहटाएंIn dakshin bharat me, Royal caste, Kumbhar or Kumhar and traders caste are right hand superior caste and Lohar, Sunar, barahi or carpentar etc. panchal or Vishwakarma caste are left hand caste.
जवाब देंहटाएंIn South India, Vishwakarma caste are left hand caste.
जवाब देंहटाएंIn Madras proviance, the kelkar committee mentioned, the Kummara Kshatriya, Kumbhakshatriya, chhatrapati, Maratha Kshatriya and Rana Kumbhar Kshatriya caste.
जवाब देंहटाएंIn South Kumbhar or Kumhar are superior caste and ritualy they are like velallaretc., general or forward caste.
सब इंसान है .. कुछ हरामियो ने अपने स्वार्थ और अपनी झूटी महानता को बनाए रखने के लिए जातियों का निर्माण किया है .. और ये हरामी लोग आज भी जाती व्यवस्था को बनाए रखने के पक्ष मे है .. नौकरी - काम भी जातियों के हिसाब से दिया जाए इसके भी पक्ष में है ... सभी भाई इस होड़ मे ना रहे की मेरी जाती ऊंची ..की मेरी जाती ऊंची है ... सब इंसान है .. इंसानियत ही जाति है सबकी .. और इंसानियत से ऊंची कोई जाति नही .. जिसमें इंसानियत नही वो नीच प्रवृति का है ..
जवाब देंहटाएंगोले बड़े होते है या मारू
जवाब देंहटाएंJai daksh jai salivahan prajapati
जवाब देंहटाएंJai Raja harish channdra prajapati